राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कोरियोग्राफर गणेश आचार्य कैसा कमाल करते हैं, ये उनके कालजयी गानों चिकनी चमेली, बीड़ी जलइले और मल्हारी को देखकर तुरंत समझ आ जाता है। 12 साल की उम्र में ही अपना खुद का डांस ट्रूप बनाने वाले इस प्रतिभावान कलाकार ने अपनी पहली फिल्म अनाम सिर्फ 21 साल की उम्र में ही हासिल कर ली थी। हालांकि, उनकी तमाम बड़ी कामयाबियों में से एक रही फिल्म कुली नं. 1 (1995) के गाने हुस्न है सुहाना के लिए की गई उनकी कोरियोग्राफी, जिसमें गोविंदा अपने करियर के सबसे सुनहरे दौर में दिखते हैं और नाभिदर्शना करिश्मा दिखती हैं सैकड़ों बैकअप डांसर्स के साथ एक लय में जबर्दस्त मूव करते हुए। आचार्य के इसके बाद गोविंदा के साथ लंबे और काफी कामयाब रिश्ते बनाए और उन्होंने गोविंदा को साजन चले ससुराल, बड़े मियां छोटे मियां जैसी फिल्मों में क्या खूब नचाया भी। चमकती हेयरबैंड्स से लेकर दमकती टोपियों और डांसर्स की स्कर्ट्स के जगमग पैनलों के चलते हुस्न है सुहाना, हालांकि, इन सारे सारे गानों में 90 के दशक के तड़क भड़क वाले फैशन की बुलंदियों की पहचान बन गया। यहां गणेश हमें बता रहे हैं इसी गाने के बारे में जिसने उन्हें इंडस्ट्री में बड़ा ब्रेक दिया:
"ये गाना 'हुस्न है सुहाना' वाकई वो गाना है जिसने मेरे कोरियाग्राफी करियर को नई उड़ान दी। उस वक्त सरोज खान जी, चिन्नी प्रकाश जी जैसे तमाम बड़े कोरियोग्राफर्स काम कर रहे थे। फिल्म के निर्माता रमेश तौरानी चाहते थे कि इन्हीं में कोई इस गाने को कोरियोग्राफ करे न कि मेरे जैसा कोई नया नृत्य निर्देशक क्योंकि ये गाना शर्तिया हिट होने वाला था। लेकिन, डेविड धवन और गोविंदा चाहते थे कि ये गाना मैं कोरियोग्राफ करूं। किसी तरह उन लोगों ने रमेश तौरानी को समझाया और वह मान गए। मैं जो कुछ भी कर सकता था, जो कुछ भी मैंने अपने जीवन में सीखा था, अपनी पूरी ऊर्जा, अपना पूरा जोश, सब मैंने इस गाने में डाल दिया। जब मैं इस गाने की कोरियाग्राफी पूरी कर चुका था, मैं और मेरे डांसर्स डेविड धवन, गोविंदा और रमेश तौरानी का इंतज़ार कर रहे थे कि वे आएं और इसे देखें। हमने पूरे दिन कुछ खाया तक नहीं था! हम सिर्फ जूस पीकर प्रैक्टिस कर रहे थे। ये लोग जब आए और इन लोगों ने ये डांस देखा तो उन्हें लगा कि (मुझे लेने का) उनका फैसला सही था।"
"करिश्मा ने इस गाने में शॉर्ट्स पहन रखी थी। गाने में एक स्टेप ऐसा था जिसमें उन्हें घुटनों के बल आगे जाना था, कूदना था और फिर वापस घुटनों के बल ही ज़मीन पर आना था। जब करिश्मा की मां बबिता जी ने ये देखा तो उन्होंने करिश्मा से कहा कि उन्हें ये करना ही होगा। करिश्मा बोलीं कि ये मुमकिन नहीं है, लेकिन उनकी मां ने कहा कि अगर वह एक बड़ी स्टार बनना चाहती हैं, तो उन्हें ये स्टेप करना ही होगा। आधा दिन लग गया लेकिन करिश्मा ने ये स्टेप बिना घुटनों पर पैड्स बांधे किया। उनके घुटनों से खून निकल रहा था। गाना सुपरहिट हो गया, और ये इस गाने की सफलता ही थी जिसने मुझे इंडस्ट्री में बतौर कोरियाग्राफर स्थापित कर दिया। इसी वजह से, डेविड धवन और गोविंदा को मैं अपने गॉडफादर्स मानता हूं।"
Adapted from English by Pankaj Shukla, consulting editor