मेरे लिए, ऐक्टिंग एक पेशा है। ठीक वैसे ही जैसे आप होटल मैनेजमेंट करते हैं या जैसे आप एमबीए की लिए तैयारी करके जाते हैं, एक ऐक्टर बनने के लिए भी आपको तैयार होना पड़ता है। इसका मतलब सिर्फ आपका हुनर या आपकी कला ही नहीं है। ऐसे तमाम लोग हैं, जो छोटे शहरों से आते हैं और कहते हैं, "हमें नहीं पता कि किस फोटोग्राफर से हमें अपना प्रोफाइल शूट करना चाहिए या कि फिर कौन सा ऐक्टिंग स्कूल मेरे लिए ठीक रहेगा?"
मेरा आशय यहां ये है कि गूगल, यू ट्यूब और इतने सारे वेब पोर्टल्स होते हुए आपको भला ये सब पता क्यों नहीं है।
आज अगर आप ये जानना चाहते हैं कि रणवीर सिंह ने किस स्कूल से अभिनय सीखा, तो इसके तो इंटरनेट पर ढेर सारे वीडियोज पड़े हैं।
दिसंबर में मैंने एक कास्टिंग डायरेक्टर के तौर पर 10 साल पूरे किए। इन सालों में मैंने तमाम ऐक्टर्स को बदलते देखा है। उनकी इंडस्ट्री के तौर तरीकों को लेकर जानकारी बढ़ी है। आसपास इतनी जानकारी और सलाह देने के लिए इतने लोगों के होते हुए, ज़्यादातर लोगों के लिए येजानना आसान हो गया है कि उन्हें कौन सा रास्ता अपनाना है।
हालांकि, अभी ऐसे तमाम लोग हैं जो छोटे शहरों से आते हैं और सही रास्ता पाने के लिए संघर्ष करते रहते हैं। समझना ये है कि यहां हर शख़्स आपको सलाह देने को तैयार बैठा है और आपको ये तय करना है कि आपके सही सलाहकार कौन हैं। सुनो सबकी, लेकिन करो वही जिसे करने को तुम्हारा दिल गवारा करे। जीवन में सबसे ज़्यादा वक़्त आप खुद के साथ ही बिताते हैं तो आप खुद से क्या कहते हैं, इसकी अनसुनी मत कीजिए। सबकी सुनो, अपनी करो।
हर किसी को सपने देखने की आज़ादी है। अगर मैं सुबह उठती हूं और मैं कुछ करना चाहती हूं तो मुझे ये करने की आज़ादी होनी चाहिए। अगर मैं इसके लिए वाकई अनाड़ी हूं तो मुझे कम से कम इसके लिए खुद को प्रशिक्षित करने की कोशिश तो करनी चाहिए ताकि मैं खुद को बेहतर कर सकूं। कास्टिंग डायरेक्टर के पास आकर ये पूछना, "क्या आपको लगता है कि मुझमें एक ऐक्टर या एक स्टार बनने की काबिलियत है?' इसका कोई मतलब नहीं है। क्योंकि, अगर मुझे पता होता कि आपके भविष्य में क्या है तो मैं देश की सबसे अमीर महिला होती क्योंकि तब हर कोई मेरे पास इन्हीं सवालों के जवाब तलाशते हुए आता।
अच्छा है कि अब बहुत सारे ऐक्टर्स तमाम सारी जानकारियों से लैस होकर आते हैं। ये बहुत ज़रूरी है कि कैमरे का सामना करने से पहले आपको ये पता हो कि आपको खुद को कैसे तैयार करना है। ये समझना कि "क्या मुझे कैमरे के सामने आने का मौका पाने के लिए किसी के साथ सोना ज़रूरी है? क्या मुझे वाकई काम पाने के लिए लोगों के साथ फ्लर्ट करना या उनकी चापलूसी करना या उनके लिए महंगे तोहफे और उपहार लाना ज़रूरी है? क्या मुझे वाकई अंग प्रदर्शन करना या चुस्त कपड़े पहनना ज़रूरी है?" हर चीज़ की जानकारी आज की तारीख़ में उपलब्ध है।
इस क्षेत्र में आने से पहले आपको जितनी हो सके उतनी जानकारी जुटानी ज़रूरी है। जानकारी इस बात की कि आप क्या करने जा रहे हैं और इसके लिए क्या सही रास्ता है।
एक बात सीखनी और ज़रूरी है। ये कभी मत कहिए, "मैम, मैंने तीन महीने का ऐक्टिंग कोर्स पूरा कर लिया है तो अब काम कैसे मेरे पास चलकर आएगा।" आपको अपनी कला को परफेक्ट बनाने के लिए लगातार मेहनत करनी होती है। मेरे हिसाब से, मैं उम्मीद करती हूं ये कहकर मैं कोई मुसीबत मोल नहीं ले रही, किसी एक महंगे ऐक्टिंग कोर्स पर पैसे खर्च करने की बजाय, मेरी सलाह यही होगी कि इस पैसे को हिस्सों में बांटकर तमाम दूसरे एक्टिंग और थिएटर सिखाने वालों के साथ वर्कशॉप्स पर खर्च करिए। जब आप अलग अलग ऐक्टिंग वर्कशॉप्स में सीखते हैं, तो मुझे लगता है कि आपका दिमाग सक्रिय हो जाता है और फिर ये अपने हिसाब से खुद चुनाव कर सकता है। कुछ चीजें आपको ठीक लगेंगी और कुछ नहीं लेकिन ज़्यादा अहम बात ये है कि आपको एक से ज़्यादा अनुभवों में से चुनाव करने की आज़ादी होगी।
इंस्टाग्राम पर वक़्त कम बर्बाद कीजिए और अपने हुनर पर काम कीजिए। रोज़ नाचिए – ये आपको खुलने में मदद करता है। कोई प्राइवेट क्लास मत लीजिए। बाहर निकलिए और किसी ग्रुप का हिस्सा बनिए। खुद को बुद्धू बनने दीजिए। दूसरों को देखिए। कुछ लोग आप पर हंसेंगे और आपको बेहतर करने के लिए प्रेरित करेंगे और एक दिन आपको महसूस होगा कि आप वाकई पहले से बेहतर हो गए हैं। ऐक्टिंग और डांसिंग की बात होती है तो मैं प्राइवेट क्लासेस को बहुत पसंद नहीं करती हूं, ज़रूरी है लोगों के बीच होना, जो आपके साथ सीख रहे होते हैं, उन्हें ध्यान से देखिए।
कामयाबी की कुंजी है हर दिन खुद को बेहतर बनाना, कुछ नया सीखना और खुद को बदलाव के लिए तैयार रखना। ये कभी मत समझिए कि आपको सब कुछ आ गया और अब आपको कुछ भी सीखने की ज़रूरत नहीं है। अगर आपका पेट भरा हुआ है तो फिर आपको और भूख नहीं लगेगी। तो खुद को हमेशा इस हाल में रखिए कि आप और सीख सकें।
इसकी कोई उम्र नहीं होती। मैं ऐसे लोगों से मिली हूं जो चालीस साल के ऊपर के हैं और ऐक्टिंग वर्कशॉप्स करते हैं और मैं ऐसे लोगों को उनके साहस के लिए सलाम करती हूं। कई बार ऐसा भी होता है कि लोग इतने ज्यादा प्रशिक्षित हो जाते हैं कि उनके लिए उस खांचे से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
हालांकि, कुछ ऐसे लोगों से भी मैं मिली हूं जो मेरे कहे को सही तरीके से लेते हैं। मुझे याद है, काफी साल पहले, एक मॉडल मुझसे मिलने आया और उसकी सारी तस्वीरें बिना कपड़ों के समुद्र के किनारे किसी बीच पर सिर्फ अंडरवियर पहने खींची हुई थीं। और मैंने उससे कहा, "माफ करना पर ये ऐक्टिंग फोटोग्राफ्स नहीं हैं। ये फैशन के लिए खींची गई हैं।" उसने मेरी बातों को शालीनता से सुना और चला गया। और मैंने सोचा, "हे भगवान! मैंने एक और का दिल दुखा दिया।"
छह महीने बाद वह मेरे पास फिर आया। उसने अपने सिर के बाल कटवा दिए थे। फौजियों जैसे बाल रखे थे उसने। वह एक सफेद रंग की ढीली लिनेन शर्ट पहने था। उसने जितनी हो सकती थीं उतनी थिएटर वर्कशॉप्स की थीं। और, उसे यहां-वहां काम मिलना शुरू हो गया था। मेरे लिए, इन छहीनों मे जो कुछ उसने किया वह भी आगे बढ़ने की ही निशानी थी।
तोहफे, तारीफें और मीठी मीठी बातें अपना आकर्षण तब खो देती हैं जब इसके पीछे काम पाने का उद्देश्य छिपा होता है। किसी का एहसान मानते हुए तोहफा देना हमेशा बहुत अच्छा होता है, लेकिन ये सोचना कि ऐसा करके आपने किसी कास्टिंग डायरेक्टर को प्रभावित कर लिया है और आपको इससे काम मिल जाएगा, बेवकूफी है। ऐसा कई बार हुआ है कि मैं ऑफिस पहुंचती हूं और चारों तरफ महंगे ब्राडेड बैग्स, पर्स या दूसरी चीजें रखी हुई होती हैं। अच्छी बात ये है कि हमारा प्रोडक्शन हाउस इस तरह की बातों को बढ़ावा नहीं देता और मुझे भी यही रास्ता अपनाना होता है। मैं ये समझाने की कोशिश कर रही हूं और ये समझना ज़रूरी भी है। आप मुझे खुश करना चाहते हैं? विनम्र बनिए और एक दिन में मुझे 100 मैसेज मत भेजिए और मैं वादा करती हूं ये आपके लिए बहुत अच्छे नतीजे लेकर आएगा।
आप हर रोज़ ऐक्टर्स से मिलते हैं। इनमें से कुछ आपको मीटिंग के कुछ ही घंटे बाद एसएमएस करना नहीं भूलते, आपके साथ कॉफी पीने के लिए या फिर ये बताने के लिए कैसे पहली ही मुलाकात में उन्होंने आपके साथ बरसों पुराना कनेक्शन महसूस किया और दोनों को कहीं मिलना चाहिए।
लोग आपको पटाने की कोशिश करते हैं। ये हमेशा होता है और मेरा भरोसा करिए कि ये अच्छी बात नहीं है क्योंकि सामने वाला जानता है कि इसके पीछे इरादा क्या है और आपके बारे में ये धारणा बनना अच्छी बात नही है। मेरे साथ कोई ऐक्टर फ्लर्ट करता है, मैं उसके संदेश का स्क्रीनशॉट लेती हूं, उसे अपने फोन में एक अलग फोल्डर बनाकर उसे सुरक्षित कर लेती हूं। तो कभी अगर ऐसा मौका पड़े कि मुझसे लोग इस बारे में सवाल पूछे (हालांकि ऐसा कभी होता नहीं है) तो मेरे पास नाम, वक़्त और नंबर के साथ एक फोल्डर पहले से तैयार है, पहले से तैयार रखा हुआ। मैं ऐसे किसी संदेश का जवाब नहीं देती। या ध्यान ही नहीं देती।
ऐसा भी हुआ है कि मैं किसी रेस्तरां में अपने दोस्तों के साथ हूं और मेरे फोन पर एक मैसेज आता है, 'इन कपड़ों में आप बहुत सुंदर लग रही हैं।' ये थोड़ा अजीब भी हो सकता है कि लेकिन मुझे अब इससे निपटने की आदत हो चली है। आप ये संदेश भेजने वाला शख़्स कभी मत बनिए। मैं वादा कर सकती हूं, इसका असर ही कुछ अलग होगा।
लड़कियों के लिए भी यही लागू होता है। इंडस्ट्री के ज़्यादा से ज़्यादा प्रोफेशनल होते जाने के साथ, अब काम पाने के लिए किसी के साथ सोना ज़रूरी नहीं है। पहली बात तो ये कि जो लोग आपसे इसकी उम्मीद करते हैं, वे लोग ऐसे हैं ही नहीं, जिनके साथ आपको काम करना चाहिए।
बदन दिखाऊ कपड़े पहनना भी आपकी किसी तरह मदद नही करता। आपकी छवि वैसी ही बनती है जैसे आप खुद को पेश करते हैं। तय कीजिए कि ये अच्छी होगी और वैसी होगी जो आपको आपकी उम्मीदों के मुताबिक काम दिलाने में मददगार होगी।
लगातार काम मांगने की जिद करते रहने वालों से परेशान होते रहना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। कई बार तो इससे मन खिन्न हो जाता है। मेरा मतलब है कि हम सब यहां काम करने आए हैं। आप ऐक्टर हैं और मैं कास्टिंग डायरेक्टर। हमारे दफ्तर में हर फ्रेशर का सोमवार और मंगलवार को आमने सामने मुलाक़ात के लिए स्वागत है। मैं सबसे मिलती हूं और शायद यही इकलौता तरीका है कि आपको काम मिलेगा। जानकारियों और कास्टिंग कॉल्स के विवरण वाले पन्नों का अनुसरण करना ज्यादा मददगार होगा बजाय इसके कि आप खुद को कास्ट करने की ज़िद पकड़े रहें।
जब भी ऑडीशन देने जाएं, सिर्फ अपना बेहतरीन देकर आएं। सबसे पहले हमेशा मैं ये देखना चाहती हूं कि आप अपनी तरफ से उस सीन में क्या लेकर आए और आप खुद को उसमें कैसे देखते हैं। एक बार आपने ये कर लिया, और अगर मुझे लगा कि कुछ फेरबदल जरूरी है तो मैं आपको इसके बारे मे बताऊंगी। जब भी मैं किसी ऐक्टर को समझा रही होती हूं तो कभी कभी वह कहता है, "हां, हां मैम, मैं समझ गया। समझ गया। मैं बिल्कुल वैसे ही करूंगा जैसा आप मुझसे करवाना चाहती हैं।" लेकिन फिर भी वह खुद को दोहरा देता है। तो मैं उसे एक मौका और देती हूं।
ऐक्टिंग के अलग अलग तरीकों वाले सैकड़ों कोर्स हैं, कुछ के बारे में तो मैं भी नहीं जानती। लेकिन आपने जो कुछ सीखा है उसे भुलाना आना चाहिए। अपना मेथड पीछे छोड़ दीजिए। खुद को भूल जाइए। आज की तारीख में सबसे मुश्किल काम है भुला देना। सुनना एक कला है। चूकने में ही जादू होता है। जादू तब होता है जब आपको पता ही नहीं होता कि आप क्या कर रहे हैं और उसी समय एक लम्हा जन्म लेता है। और, उसी लम्हे में एकदम से मेरे चेहरे पर मुस्कान तैर जाती है और मुझे तुरंत पता चल जाता है कि मैंने अपना किरदार पा लिया है।
धीरज रखना और अच्छा सोचना दूसरी कुंजी है। ऑडीशन दो और भूल जाओ। फोन मत करो। पूछो मत। इंतज़ार मत करो। ये पता लगाने की कोशिश भी मत करो कि तुम्हें वह रोल मिला कि नहीं। अगर हमें आपका काम पसंद आया है तो हम बैठकर आपके फोन का इंतज़ार नहीं करेंगे। हम खुद आपको फोन करेंगे। बहुत साधारण सी बात है।
याद रखिए, मैं उस तरह की इंसान हूं कि अगर मुझे कोई ऐक्टर चाहिए तो मैं उसे खोज लूंगी। तो नतीजे के बारे में लगातार मुझसे पूछते रहना या मैसेज करते रहना किसी भी तरह मदद नहीं करता। ये कभी मत सोचिए कि वह रोल आपको क्यों नहीं मिला या कि किसी दूसरे को वह क्यों मिला। ये सोच ही आपके भीतर नकारात्मकता लाती है और एक ऐक्टर क तरह आपका विकास रोकती है।
खुद को चमकाते रहिए। आप कैसे देखते हैं, कैसे चलते हैं, कैसे बातें करते हैं, सब देखा जाता है। हिंदी और अंग्रेज़ी सीखिए। और, दोनों को अच्छी तरह से बोलिए। ये बहुत ज़रूरी है। जब फोन पर किसी कास्टिंग कॉल के दौरान आप बात कर रहे हैं, तो जैसे आप बात कर रहे होते हैं, उससे भी फ़र्क पड़ता है।
फैशन में क्या चल रहा है, उस पर नज़र रखिए या खुद ही ट्रेंडसेटर बनिए, लेकिन जो भी आप करें, उसे सरल और सहज रखें। किसी भी पहनावे या दिखावे को भड़कीला मत होने दीजिए क्योंकि इससे ये पता चलता है कि आप तवज्जो पाने के लिए ये सब कर रहे हैं।
शुरू में लोग कहा करते थे, 'नहीं यार, टीवी करेंगे तो नहीं होगा।' राम कपूर और रोनित रॉय जैसे टीवी अभिनेता बहुत बड़े कलाकार बन चुके हैं। लड़किया कहती थीं, 'अगर मैं हीरोइन की दोस्त का रोल कर रही हूं तो नहीं।' परिणिति चोपड़ा फिल्म लेडीज वर्सेज रिकी बहल में अनुष्का शर्मा की दोस्त बनी थी। ये भी कहते लोग सुने जा सकते थे, "ओह, अगर मैं रीजनल सिनेमा करूंगा या फिर मैं ये करूंगी तो मैं कुछ बन नहीं पाऊंगी।" अब ऐसा कोई फॉर्मेट नहीं है। ये वैसे ही है जैसे मैं राह चलते किसी चेहरे को पसंद कर लूं, किसी फिल्म में कोई चेहरा मुझे पसंद आ जाए, कोई विज्ञापन, कोई होर्डिंग, कोई मैगज़ीन, कहीं भी! आपको ऐक्टिंग करनी है और अच्छा भरोसेमंद काम करने के लिए जहां भी जिस फॉर्मेट में आपको काम मिले, करते रहिए।
अगर टैलेंट है तो मेरे बॉस को कोई भी पसंद आ सकता है। अगर मैं कहूं, 'टीवी में देखूं क्या? क्या रीजनल सिनेमा में तलाश करूं?' वह कहते हैं, ज़रूर। जहां कभी भी मेरे तार बजते हैं, मैं उसमें झांकती हूं। किसी फिल्म में किसी ने एक सीन किया हो या दस, मैं उसे एक फिल्म के लीड ऐक्टर के तौर पर ले सकती हूं। बशर्ते, ये काम वाकई दमदार हो।
तमाम ऐक्टर्स और मॉडल्स को मैं सोशल मीडिया में अपने या अपनी बॉडी बिल्डिंग के फोटो डालते देखती हूं। जिम में वर्क आउट करने के बहुत सारे फोटोज। मैं ये नहीं कह रही कि इसमें कोई समस्या है लेकिन सिर्फ ये ही फोटो तो नहीं होते होंगे न आपके पास अपलोड करने के लिए।
जब हम किसी के बारे में ऑनलाइन खोजते हैं तो हम हमेशा एक दिलचस्प प्रोफाइल तलाशते हैं, एक खूब घूम चुका शख़्स जिसकी शख्सीयत इस बात में झलकती है कि वह क्या अपलोड करता है, किसे फॉलो करता है। ये आपको उस शख़्स के बारे में बहुत कुछ बताता है। आपके फॉलोअर्स कितने हैं इससे ज़्यादा अहम बात है एक प्रोफाइल का दिलचस्प होना। तो खुद से बाहर निकलिए और अपना कैमरा दुनिया की तरफ घुमाइए। लोगों को देखिए, उनके शरीर की भाषा समझिए। चीज़ों के बारे में उत्सुक रहिए। उनसे सवाल कीजिए और फिर उनको जवाब भी दीजिए।
समझने की कोशिश कीजिए कि क्यों 55 साल की उम्र में एक जोड़ा रेस्तरां में बैठा है और एक दूसरे की तरफ देख तक नहीं रहा। या, क्यों 20 साल की उम्र का एक जोड़ा एक दूसरे को खुश रखने में लगा रहता है। शारीरिक भाषा को ध्यान से देखना ऐक्टिंग का बड़ा हिस्सा है। बाहर पूरी एक दुनिया है। लोगों के साथ। चीजों के साथ। लम्हों के साथ। उनकी तरफ देखिए। वे आपको छुएंगी, आपको हिलाएंगी डुलाएंगी और आपको बदल देंगी।
जब मैं किसी लीड रोल के लिए किसी लड़की या लड़के को देख रही होती हूं, तो मैं सिर्फ उनके हुनर या उनकी तस्वीर को ही नही देख रही होती हूं। मैं ये भी देख रही होती हूं कि उनका पहला इंटरव्यू, पहला टीवी अपीयरेंस और उनकी पहली अवार्ड स्पीच कैसी होगी। मैं एक शख्सीयत खोज रही हूं। एक ऐसी शख्सीयत जो हक़ीक़त के करीब है, भरोसे से लबरेज़ है और जो भी उसके आसपास से गुज़रता है उसे अपनी तरफ खींचती है। भले आप छोटे शहर से ही क्यों न हो, मैं आपकी कहानी सुनना चाहती हूं कि घर पर जीवन कितना सरल है और इस विरोधाभास को आप कैसे महसूस करते हैं। मुझे ऐसे लोग पसंद हैं जो किसी चीज़ को लेकर जुनूनी हैं। मेरा मतलब है कि आपके भीतर ज़िंदगी को लेकर एक जुनून होना चाहिए। सिर्फ खुद को लेकर या ऐक्टिंग को लेकर नहीं। जीवन में और भी बहुत कुछ है। बातें, जानकारी और चतुर चालाक होना।
हर निर्देशक और निर्माता इन्हीं गुणों वाले ऐक्टर को पसंद करता है। विनम्र बनिए. अच्छे बनिए, वास्तविक बनिए और इस बात को लेकर शर्मिंदा मत होइए कि आप क्या हैं। आप जो हैं, उस पर फ़ख्र महसूस कीजिए।
अपनी पहचान खुद बनाइए
अपनी जगह खुद बनाइए। जो आप है वह बनिए और दुनिया को कुछ नया दिखाइए। अगला सलमान या शाह रुख खान बनने की कोशिश मत कीजिए। अपनी नस्ल खुद तैयार कीजिए। रणवीर सिंह ये कर चुके हैं। आलिया भट्ट ये कर चुकी हैं। विकी कौशल ये कर चुके हैं। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ये कर चुके हैं।
Adapted from English by Pankaj Shukla, Consulting Editor